महिलाओं के लिए पीरियड लीव देने के लिए संबंध में Supreme Court में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की जा रही है। इस लीव को लेकर कोर्ट ने इसे जनहित में जारी करने को लेकर मना कर दिया है।
नेशनल डेस्क: महिलाओं के लिए पीरियड लीव देने के लिए संबंध में Supreme Court में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की जा रही है। इस लीव को लेकर कोर्ट ने इसे जनहित में जारी करने को लेकर मना कर दिया है,लेकिन Ministry of Women and Child Development से इसे लेकर आदर्श नीति तय करने के लिए सभी पक्षों और राज्यों के साथ बातचीत करने को कहा।
सभी पक्षों से बातचीत के बाद बनाई जाई नीति-
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि याचिकाकर्ता को अपनी बात महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में सचिव और एएसजी ऐश्वर्या भाटी के आगे रखने की छूट है। हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले पर सभी पक्षों से बातचीत करने के बाद ही फैसला लेकर एक आदर्श नीति तैयार की जाए।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ बोले–
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह छुट्टी ज्यादा महिलाओं को वर्कफोर्स का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस तरह की छुट्टी देने से महिलाएं अपने वर्कफोर्स से दूर हो जाएंगी। यह वास्तव में सरकार की नीति का पहलू है और इस पर अदालतों को गौर नहीं करना चाहिए.
बिहार में दिया जाता है अवकाश-
जानकारी के लिए बता दें कि वर्तमान में बिहार एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां1992 की नीति के तहत विशेष मासिक धर्म दर्द अवकाश दिया जाता है। ऐसे में देश के अन्य राज्यों में महिलाओं को पीरियड लीव देने से इनकार संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत समानता और गरिमापूर्ण जीवन जीने के उनके मौलिक संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है।