कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई सियासी पारी ने पंजाब से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस की चिंता बढ़ा रखी है। कांग्रेस को अगले विस चुनाव में कैडर वोट बंटने का डर सता रहा है। कांग्रेस समझ चुकी है कि अमरिंदर भले ही न जीत सकें लेकिन उनकी जीत के लिए खतरा जरूर बनेंगे।
कांग्रेस अमरिंदर को नई पार्टी बना चुनाव लड़ने से रोकना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस के कुछ सीनियर नेताओं से उनकी मुलाकात और बात हुई है। हालांकि अमरिंदर ने उन्हें स्पष्ट जवाब दे दिया है कि वो हर हाल में 117 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
पंजाब में कांग्रेस के हालात को देखते हुए राष्ट्रीय नेतृत्व विकल्प की भी तलाश में है। खासकर, कैप्टन अमरिंदर सिंह की नई पारी से निपटने के लिए भी मंथन चल रहा है। कांग्रेस जल्द जिला प्रधानों की भी घोषणा कर सकती है। इससे संगठन को बांधकर रखने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए नवजोत सिद्धू को जल्द दिल्ली बुलाया जा सकता है।
अमरिंदर के जाने से 3 बड़े नुकसान
- पार्टी में टूट : कैप्टन के पार्टी बनाते ही कांग्रेस में टूट के आसार हैं। सिद्धू की ताजपोशी से कई बड़े नेता नाराज हैं। वह धीरे-धीरे कर कैप्टन के साथ जा सकते हैं।
- कांग्रेसी वोट बंटेंगे : कांग्रेस का मानना है कि पंजाब में कांग्रेस का पक्का वोट बैंक है। कैप्टन करीब 42 साल कांग्रेस में रहे। 3 बार पंजाब प्रधान और 2 बार साढ़े 9 साल सीएम रहे। ऐसे में उनके अलग चुनाव लड़ने पर वोट बैंक बंटेगा।
- टिकट के वक्त बगावत : कांग्रेस में टिकट बंटवारे के वक्त सबको संतुष्ट करना मुश्किल है। खासकर, कलह में फंसी पंजाब कांग्रेस के लिए हालात चुनौतीपूर्ण होंगे। ऐसे में बागी कांग्रेसी कैप्टन का दामन थाम कांग्रेस को नुकसान पहुंचा सकते हैं।