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जालंधर में मां-बाप के निर्दोष दिल पर इस स्कूल ने चलाई छुरी, स्कूल शुरू होने से पहले और बाद में 1 किताब को दो बार खरीदवाया

जालंधर (विकास) : महानगर में एक बहुत बड़ा स्कूल है। इस स्कूल ने कई ब्रांचें खोली हुई हैं। इन ब्रांचों में हर बार घोटालों की बदबू आती रहती है। ताजा मामला किताबों को लेकर है। महंगी किताबों से माता पिता त्रस्त हैं। इन किताबों को लेकर कई घोटाले हुए हैं। जैसे कि सीबीएसई ने आदेश जारी किया हुआ है कि किताबों की लिस्टें कक्षा के मुताबिक स्कूल अपनी वेबसाइट्स पर अपलोड करेंगे। इस आदेश का पालन करते हुए इस स्कूल समूह ने कंप्युटर की टचपैड 3.0 का नाम अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। इस नाम की किताब कक्षा 1 से कक्षा 8वीं तक लगनी थी। अभिभावकों ने लिस्ट पाकर किताबें खरीद भी लीं। स्कूल शुरू होने से पहले किताबें खरीद ली गईं। अब मामला तब जाकर फंसा जब स्कूल लगने के बाद स्कूल ने किताब का नाम ही बदल दिया। नया नाम कंप्युटर की टचपैड 3.1 था जिससे अभिभावकों को काफी परेशानी हुई। परेशानी इतनी ज्यादा कि अभिभावक किताब बदलने के लिए माई हीरा गेट के धक्के खाने लगे। कुछ दुकानों पर किताब वापिस हुई और कुछ पर नहीं और मां-बाप को नई किताब के पैसे भी खर्चने पड़े। अब सवाल यह पैदा होता है कि क्या स्कूल ने किताब खुद बदली तो फिर मां-बाप को हर्जाना कौन भरेगा? बताया जाता है कि इस स्कूल की पृष्ठभूमि मेडिकल जगत से जुड़ी है और इसी कारण ये हर बार मां बाप को ही महंगाई का इंजेक्शन लगाने की सोचते हैं। यह हम आपके सामने पहली किश्त लाए हैं और अगली किश्त में हम बताएंगे कि कैसे इस स्कूल ने अपनी ब्रांचें गांवों में खोली और जमीन के सीएलयू में गोरखधंधा किया और इस बार तिमाही फीस के जो संदेश मां-बाप को मिले उसमें कैसे बढ़ोतरी हुई जबकि पंजाब सरकार साफ कह चुकी है कि कोई भी स्कूल नहीं बढ़ाएगा।