इंसानियत शर्मसार होती देखनी है तो गांव गाखल में जरूर जाएं, भाई के अत्याचारों से मौत की कगार पर पहुंची विधवा बहन
जालंधर (विकास मौदगिल): एक घर बनाने में सालों की मेहनत लग जाती है और अगर घर पिता ने दिया हो तो मेहनत और यादें मिलकर आपको उस घर से जोड़े रखती हैं लेकिन जब थॉमस मसीह जैसा भाई हो तो फिर तो उस घर से बहन को ही जबरन निकलवा देता है। जी हां, आज हम विधवा वीनस मसीह पर उसके भाई थामस मसीह जोकि खुद को आम आदमी पार्टी के एक एमएलए का कथित सेक्रेटरी बताता है, द्वारा अपनी बहन पर किए गए अत्याचारों की दूसरी किश्त बताने जा रहे हैं। इस बारे में वीनस की बेटी सोनू नेे मीडिया से बात करते हुए बताया कि उसकी मां की हालत बहुत खराब है क्योंकि उसके मामा ने पूर्व एडीसी, कानूनगो व पटवारी के साथ मिलकर उनका जीना मुहाल कर दिया है। सोनू के मुताबिक जब जबरन मकान खाली करने में थामस मसीह सफल नहीं हुआ तो पुलिस प्रशासन को बुलाकर हमारा सामान बाहर फिंकवा दिया। जब कई दिन तक हम बाहर बैठे रहे तो एक दिन रात को इन्होंने हमें कहा कि आप घर के अंदर चले जाओ क्योंकि आपके पास स्टे हैं। हम असंख्य पुलिस मुलाजिमों की मौजूदगी में घर के अंदर दाखिल हुए। उस घर की छत तक थामस मसीह ने तुड़वा दी थी। इसके बाद जब हम रात को घर में गए तो सुबह ही पुलिसवाले आ धमके और हम पर जबरन घर में दाखिल होने का आरोप लगाकर हमसे कोरे कागज पर हस्ताक्षर करवाए। सोनू के मुताबिक मामा थामस इसलिए घर खाली करवाना चाहता है क्योंकि घर की नींव चर्च से जुड़ी है और वहां ये लंगर हॉल बनाएगा। वीनस जोकि बात करने में असमर्थ है उसकी हालत देखी नहीं जाती। सोनू के मुताबिक मामा ने जो अत्याचार उन पर किए उनकी इंतहा नहीं है। मेरी मां वीनस इतनी गर्मी में सड़क पर सोने को मजबूर हुई। हम जब थाने या प्रशासन के पास गए हमारी सुनवाई करने की बजाय पूर्व एडीसी, कानूनगो, पटवारी ने रात को हमारे घर में दबिश दे दी। उक्त अफसर ने साफ तौर पर कहा था जैसे थॉमस कहता है वैसे कर दो। अब हम इंसाफ मांगने कहां जाएं क्योंकि अब इंसाफ से विश्वास उठ गया है।
भांजी पर रखी बुरी नजर, मांगी माफी पर फिर भी नहीं सुधरा
जिस थॉमस मसीह ने बहन को घर से बेघर कर दिया उस पर अपनी भांजी पर बुरी नजर डालने के आरोप भी लग चुके हैं। वीनस के परिजनों का कहना है कि इन आरोपों के बाद थामस ने सबके सामने नाक रगड़कर माफी मांगी थी कि मैं आगे से कभी ऐसा नहीं करूंगा लेकिन इसके बावजूद मामा नहीं सुधरा और मकान पर कब्जे की साजिशें रचने लगा। सोनू के मुताबिक हमें तो यह भी नहीं पता कि उनकी मां ने कितने दिन जीना है अगर घर नहीं मिला तो हम बच्चे कहां रहेंगे। क्या जवान लड़कियां सड़क पर सोएंगी या गली में? क्या रात को हम सेफ होंगे? रोते हुए सोनू ने बताया कि लड़ाई दुश्मनों से लड़ी जाती है लेकिन यहां तो हमारे अपने ही हमारे दुश्मन बन गए और अफसरशाही व आप नेता के वर्चस्व के कारण हमें इंसाफ मिलता नहीं दिखाई दे रहा।