वाह री जालंधर पुलिस, पहले झूठा केस दर्ज किया फिर चंद घंटों बाद क्लीन चिट
बिट्टू मक्कड़ ने पुलिस अधिकारियों के साथ संबंधों का इस्तेमाल कर करवाया झूठा मामला
जालंधर। बेशक पंजाब में इमानदार सरकार व साफ छवि वाले दमदार डीजीपी गौरव यादव बन चुके हैं लेकिन पंजाब पुलिस में कई ऐसे अधिकारी हैं जो अभी भी अकाली दल में बादल परिवार के खासमखास रहे मक्कड़ परिवार के साथ मिलकर झूठे केसों को दर्ज करने में चंद मिनट नहीं लगाते। जालंधर के एक ऐसे मामले ने पंजाब पुलिस की किरकिरी करवा दी है और साथ ही पंजाब के सीएम भगवंत मान व गौरव यादव को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस नेक्सस को कैसे तोड़ा जाए। चर्चा तो यह भी उठ रही है कि बिट्टू मक्कड़ ने कई पुलिस अधिकारियों का पैसा प्रापर्टी में निवेश करवाकर रखा है और जिसका फायदा परिवार उठाता आ रहा है। मक्कड़ परिवार की तरफ से जमीनों पर कब्जे के मामले आम हो चुके हैं लेकिन अब खाकी का मिसयूज भी तेज हो गया है।
ताजा मामला जालंधर में आलू व्यपारी मोनू पुरी का है, जिस पर बिट्टू मककड़ ने 29 जुलाई की रात को चुपके से चोरी का केस दर्ज करवा दिया। आरोप लगाया कि मोनू पुरी उसके घर आया था और गहनों व पैसों से भरा बैग लेकर निकल गया। आरोप लगाया कि 16 जुलाई को मोनू उनके घर यानी बिट्टू मक्कड़ के घर चाय पी रहा था, उस समय उनका दोहता वारिस भी मौजूद था। इस बीच फोन आया कि बिट्टू मक्कड़ की साली गुरविंदर कौर मिंटू की दुर्घटना हो गयी है। बिट्टू मक्कड़ का कहना है कि वह अपनी पत्नी के साथ तत्काल चले गए और पीछे से वारस घर में था। बाद में वारिस ने बताया कि मोनू पुरी घर से बैग लेकर गया है जिसमें 50 लाख रुपये की नकदी के अलावा 1.5 करोड़ के गहने थे।
दिलचस्प बात है कि पुलिस ने मामले की जांच ही नहीं की, वर्दीधारियों ने कमला करते हुए 29 जुलाई की रात को आलू व्यपारी पर चोरी का मामला भार्गव कैंप में दर्ज कर लिया।
मोनू के निकटवर्तियों ने तत्काल इस झूठे मामले की जानकारी चंडीगढ़ आला पुलिस अधिकारियों को दी, जिसके बाद जालंधर पुलिस के हाथ पैर फूल गए और जान बचाने का रास्ता खोजने लगे। 30 जुलाई को ही पुलिस ने जांच की तो पाया कि…
1- मिंटू की पत्नी गुरविंदर कौर का एक्सीडेंट तो रात को 2 बजे हुआ था, फिर बिट्टू मक्कड़ को घटना से कई घंटे पहले ही कैसे पता चल गया ? क्या मोनू पुरी रात को 2 बजे घर बैठा चाय पी रहा था ?
2- 16 जुलाई को मोनू पुरी तो सुलतानपुर लोधी में थे और बकायदा इसकी कॉल रेकार्ड चेक की गई। वहां से रात 10 बजे लौटा, पुलिस ने वहां की सीसीटीवी भी चेक करवाई।
3- पूरा जुलाई माह मोनू पुरी के मोबाइल की लोकेशन बिट्टू मक्कड़ के घर की नहीं आई।
जिससे साफ हो गया कि बिट्टू मक्कड़ ने पुलिस अधिकारियों को गुमराह कर फर्जी केस दर्ज करवाया है। लिहाजा पुलिस ने जांच के बाद मामले में मोनू को क्लीन चिट दे दी है। अपने आपको पुलिस का राजा समझने वाले बिट्टू मक्कड़ खुद जाल में फंस गए हैं। कारण यह है कि उनहोंने इस फर्जी मामले में अपने दोहते वारिस को भी गवाह बना डाला। मामला चंडीगढ़ में पुलिस गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। आने वाले दिनों में फर्जी मामला दर्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है ।वहीं थाना भार्गव कैंप के एसएचओ गगनदीप सेखों का कहना है कि जांच में मामला झूठा पाया गया है।