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जालंधर के गांव उच्चा में स्कैम का मास्टरमाइंड Nagesh कानून की पकड़ से दूर

जालंधर के गांव उच्च में करोड़ों रुपए इस सकैंप को लेकर एक नया मोड़ सामने आया। हमने आपको पहले करोड़ो रुपए के इस सकैंप को लेकर खबर प्रकाशित की थी।गांव उच्चा में 2020 में हुए स्कैम 4 आरोपियों सहित कई और भी लोग शामिल है।हमारे विश्वनीय सूत्र बताते है सहकारी बैंक की ऑडिट ब्रांच के ऑडिट एडिटर इंस्पेक्टरो को एफआईआर में नामजद किया और उनके घरों में जब पुलिस रेड करने जा रही थी तो पुलिस विभाग में काम करने वालो ने पुलिस पार्टी को रेड करने से रोका।सूत्र ये भी बताते है नागेश और सुरेश के घरों में उस समय करोड़ो रुपए नकद पड़े हुए थे,लेकिन पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों के कारण उनके घर रेड नही हो पाई।

इसी कारण गांव के लोगो के रुपए उसी समय मिल जाते और इन दोनो की विभागीय करवाई होते हुए नोकरी से बर्खास्त भी किया जा सकता था। आपको बता दें इन दोनों ऑडिट इंस्पेक्टरों ने लोगों के बैठे हुए रुपए से शहर के पॉश एरिया में बड़े प्लॉट लेकर जमीनें खरीदी और दूसरे ने प्राइवेट कंपनियों को रुपए देते हुए फाइनेंस का काम करना शुरू कर दिया। सूत्र यह भी बताते हैं इन्होंने कई सोसायटी ओं में लोगों के रुपए गलत काम कर दफन किए हैं और एक वकील को भी पक्के तौर पर रखा है जब भी इन पर कोई केस यह कार्यवाही होती है तो यह अपनी जमानत उसी समय करवा लेते हैं। इस केस के सिलसिले में सहकारी बैंक कि ऑडिट ब्रांच के ऑफिसर वपिंदर से बात करनी चाहिए तो उन्होंने कहा कि हमें लिख कर ला कर दीजिए तब ही हम इस केस में कुछ कह पाएंगे।

 

वही जब इस मामले को लेकर सहकारी बैंक की डीआर ब्रांच के अफसर डॉ जगजीत सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा किन सभी आरोपियों पर पुलिस ने मामला दर्ज कर दिया है लेकिन वह ये नही बता सकते कि पुलिस ने नागेश की गिरफ्तारी क्यों नहीं की है। उन्होंने कहा कि ऑडिट ब्रांच के अधिकारी ही इसके बारे में जानकारी दे पाएंगे। वही जो जनरल इंस्पेक्टर कमल दोबारा मीडिया में दिए बयानों को लेकर कहा पूछा तो वह बोले कि उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था।हालांकि उन्होंने यह कहा कि विभाग द्वारा उनसे जवाब मांगा गया है और अभी उन पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई है इसलिए वह आगे से ऐसा बयान ना दें।

आपको बता दें एक गांव उचा में सेक्रेटरी सहित सेल्समैन और एक ऑडिट इंस्पेक्टर के पुलिस ने लिखित बयान दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी डाली थी लेकिन एक ऑडिट इंस्पेक्टर पर पुलिस व विभाग इतना मेहरबान क्यों है कि उसकी अभी तक पुलिस ने अरेस्ट नहीं डाली और उसी के विभाग ने उसपर कार्यवाही क्यों नहीं अब ये संदेह दोनो विभागो पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है। जबकि पुलिस की चार्जशीट में साफ बयान दर्ज है की इंस्पेक्टर नागेश कुमार ने सेक्रेटरी के साथ मिलकर कहां-कहां से लाखों लेकर करोड़ो रुपए इक्ट्ठा किए है।वही नागेश पर 306 के तहत 2020 में ही थाना आदमपुर में मामला दर्ज हुआ था,लेकिन पुलिस ने आत्महत्या के मामले में भी गिरफ्तारी नहीं की। अब देखना है कि पुलिस इस मास्टरमाइंड पर अपना शिकंजा कब कस पाएगी।

बता दें कि इस कॉपरेटिव सोसाइटी में मृतक व्यक्तियों पर लोन किया गया और नकली एफडी बनाई गई। गांव वासियों द्वारा हमें रसीद बुक रसीदे भी दिखाई गई और जहां सहकारी बैंक कोप्रेट सोसाइटी का दफ्तर बना था