नई दिल्ली/चंडीगढ़. पंजाब में कैप्टन अमरिंदर के द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद सूबे के नए मुख्यमंत्री का नाम सामने आ चुका है। इसके लिए दो दिन की बड़ी उठापटक चली। रविवार को सुबह से डेरा बाबा नानक के विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम फाइनल माना जा रहा था और दिनभर जश्न मनता रहा, लेकिन देर शाम अचानक गेम पल्ट गया। कांग्रेस हाईकमान ने मौजूदा कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को इस पद के लिए प्रस्तुत किया है। उनके नाम के साथ पहली बार ऐसा हुआ है कि पंजाब के इतिहास में कोई दलित चेहरा मुख्यमंत्री बना है।
इससे पहले सुखजिंदर सिंह रंधावा का नाम सामने आया था। इसको लेकर राहुल गांधी के घर मीटिंग चल रही थी, जिसमें अंबिका सोनी भी मौजूद थीं। दरअसल अंबिका सोनी का नाम भी CM पद की प्रमुख दावेदार के तौर पर सामने आया था, लेकिन उन्होंने खुद ही ऑफर ठुकरा दिया। साथ ही सलाह दी थी कि पंजाब में CM का चेहरा कोई सिख ही होना चाहिए, नहीं तो पंजाब में कांग्रेस बिखर सकती है। बता दें कि देश आजाद होने के बाद जब संयुक्त पंजाब था तो उस वक्त प्रताप सिंह कैरों प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। 8 साल वह मुख्यमंत्री रहे। 1965 में उनका निधन हो गया था। इसके बाद सूबे की चौधर मालवा और दोआबा में ही घूमती रही। अब जाकर इतिहास बदला है।
मौजूदा हालात को देखते हुए कांग्रेस के ऑब्जर्वर अजय माकन, हरीश चौधरी और पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत नए सिरे से विधायकों का फीडबैक ले रहे थे। उनसे पूछा जा रहा था कि वे किसे मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं? इसी बीच कांग्रेस विधायक परमिंदर पिंकी ने कहा कि पंजाब सिख स्टेट है, इसलिए यहां किसी सिख चेहरे को ही CM बनाया जाना चाहिए। इस पूरे घटनाक्रम के बाद सुखजिंदर सिंह रंधावा के घर विधायक जुटने शुरू हो गए थे।